हे! माँ वीणावादिनी, दे मुझे ज्ञान का भंडार, मेरा कष्ट हर ले जीवन का मिटा दें अंधकार। हे! माँ वीणावादिनी, दे मुझे ज्ञान का भंडार, मेरा कष्ट हर ले जीवन का मिटा दें ...
क्योंकि दिल में जो बिठाकर रखे हो उन्हें, तो उस दिल का दर्द को तुम ही सहोगे क्योंकि दिल में जो बिठाकर रखे हो उन्हें, तो उस दिल का दर्द को तुम ही सहोगे
रहने मत दो अवगुण का, जीवन में एक भी अंश। रहने मत दो अवगुण का, जीवन में एक भी अंश।
तुम्हारी आँखों का स्पर्श लिपटता है मेरी देह से तुम्हारी आँखों का स्पर्श लिपटता है मेरी देह से
व्यक्ति की पहचान नाम से, आत्मा की पहचान ध्यान से होती है जैसे.. वैसे ही जीवन में मंज व्यक्ति की पहचान नाम से, आत्मा की पहचान ध्यान से होती है जैसे.. वैसे ही...
तुम रोज ना ऐसे मन के गांव को निचोड़ा करो, तुम रोज ना ऐसे मन के गांव को निचोड़ा करो,